ना रहा सुख ना रहा चैन।
हे मनुष्य बदल ले अपना मन।
छोर दे ईर्ष्या भाव की भावना
त्याग दे द्वेष कि इक्षा।
कुछ कर ले अच्छा।
सबको मान ले अपना।
ना रख किसी से बैर।
पता नही कब मिलेगा अब तुझे ये लोक।
त्याग दे अपना अहंकार।
अपना ले नेति को अपने ज़िनदगी मैं।
सुरु कर दे चलना सच्चाई के मार्ग पर।
किसी का बुरा ना कर ना सोच।
सबका भला हो ऐसा कर तू।
सदैव अच्छे कर्म तू कर।
ना डर किसी से तू कभी।
कर्म कर तू अपना मन लगा कर।
अगर कर रहा तू पाप है तो,
वो उप्पर वाला तेरा जन्मदात है।
कदर कर तू इस पकृति कि।
कलयुग कलयुग बोल कर ना लगा,
लालछन तू अपनी गलतियों का कही और।
एक नारी ही तेरी माँ है और दुसरो की भी,
एक नारी ही तेरी धर्मपत्नी है और दुसरो की भी,
एक नारी ही तेरी बहन है और दुसरो की भी,
सभी नारियों को दे तू एक समान इज़्ज़त,
क्योंकि उन सभी मैं आधी शक्ति समाई हैं।
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